सोमवार, 30 अप्रैल 2018

*"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें *"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं आज *"जिस्म"* मे *"जान"* है तो देखते नही हैं *"लोग"* जब *"रूह"* निकल जाएगी तो *"कफन"* हटा हटा कर देखेंगे *किसी ने क्या खूब लिखा है* *"वक़्त"* निकालकर *"बाते"* कर लिया करो *"अपनों से"* अगर *"अपने ही"* न रहेंगे तो *"वक़्त"* का क्या करोगे *"गुरुर"* किस बात का... *"साहब"* आज *"मिट्टी"* के ऊपर तो कल "मीट्टीकै नीचे.

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